सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

शनिवार, जून 12, 2010

वेद प्रताप वैदिक ने आज शुरू किया नया आन्दोलन : मेरी जात है हिन्दुस्तानी

जनगणना को लेकर पूरा भारत दो खेमे में बंट चुका है। एक खेमा का मानना है जनगणना में जात रहे..तो दूसरे खेमे का मानना है कि जनगणना में जात न रहे। जनगणना में जात न रखने की हिमायत वेद प्रताप वैदिक कर रहे हैं...वे निरंतर अपने लेख और ऑनलाइन गतिविधियों से जात शब्द का विरोध कर रहे हैं तो वही कुछ सामाजिक कार्यकर्ता जैसे प्रो डी प्रेमपति, मस्तराम कपूर, राजकिशोर, उर्मिलेश, प्रो चमनलाल, नागेंदर शर्मा, जयशंकर गुप्ता, डा निशात कैसर, श्रीकांत और दिलीप मंडल आदि उनके लेखो और आन्दोलन की काट निकालने से नहीं चूक रहें...
आज वैदिक ने नया आन्दोलन शुरू किया है..मेरी जात है हिन्दुस्तानी...जिसके संरक्षण में कई दिग्गज, जैसे बाबा रामदेव, राम जेठ मलानी,मुचकुंद दुबे, बलराम जाखड , जगमोहन, रामबहादुर राय आदि शामिल हैं।
चिंता का विषय यह है कि इस मुद्दे को ले शीत युद्ध गहराता जा रहा है...नतीजा क्या आएगा ये पता नहीं..बहरहाल मै किस खेमे में हूँ मेरी ये कविता आपको बताएगी:


भारत में कई रंगे सियार हैं !
भारत में कई धर्म हैं
भारत में कई प्रथाएं हैं ,
भारत में कई भाषाएँ हैं ,
भारत में कई तरह के जीव-जंतु हैं ,
भारत में कई नस्ल के कुत्ते हैं,
भारत में कई रंगे सियार भी हैं,
भारत में विविधता है,
इनके बावजूद यहाँ एकता है,
जनगणना में जाति है
फिर क्यों आपत्ति है?

- सौरभ के.स्वतंत्र

4 टिप्‍पणियां:

  1. vaidik ji ka sach kaun nahi janta hai ji

    जवाब देंहटाएं
  2. नमस्ते,

    आपका बलोग पढकर अच्चा लगा । आपके चिट्ठों को इंडलि में शामिल करने से अन्य कयी चिट्ठाकारों के सम्पर्क में आने की सम्भावना ज़्यादा हैं । एक बार इंडलि देखने से आपको भी यकीन हो जायेगा ।

    जवाब देंहटाएं