सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है महज संघर्ष ही!

रविवार, जुलाई 26, 2009

कारगिल के युद्घ के १० साल

शहीदों की चिताओं पर
लगेंगे हर बरस मेले,
वतन पे मिटने वालों का
यही बाकी निशां होगा।
" ऑपरेशन विजय के वीर शहीदों को सत-सत नमन"

साथ में सत्ता के उन नुमाइंदो को लानत जिन्होंने कारगिल में वीर जवानों की कुर्बानियों को सस्ता समझा। लिहाजा, संसद तथा मुंबई पर दुबारा हमले हुयें। और हद तो तब हो गई जब अफजल गुरु जैसे आतंकवादी को फांसी पर नहीं लटकाया गया। वाकई शहीदों की चितायों की राख में अभी कई ऐसे सवाल सुलग रहे हैं. जिनका उत्तर सरकार दे पाने में अक्षम है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें